Sunday, September 23, 2018

कभी एमआर थे, अब दवाये बनाकर भेजते है 23 देशो में जानिए इनके बारे में

कभी एमआर थे, अब दवाये बनाकर भेजते है 23 देशो में जानिए इनके बारे में

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AMBALA CANT आंबला कैंट में एक फार्मास्यूटिकल कंपनी में ३२५ रूपए की मासिक पगार के एमआर ( मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव ) जीडी छिब्बर आज करोड़ों की कंपनी के मालिक हैं। वर्ष 1972 में बीएससी करने के बाद पिता स्वतंत्रता सेनानी भाई विलायती राम छिब्बर व माता राजकुमारी भी चाहते थे कि बेटा कोई कामकाज कर घर की जिम्मेदारी संभाले।

माता-पिता की बात सिर माथे पर रखते हुए उन्होंने एमआर की नौकरी ज्वाइन की। उन्हें काम के लिए यूपी का मुरादाबाद शहर दिया गया। ऐसे ही सात साल गुजर गए। आखिर फैसला किया कि खुद की दवाएं बनाकर अपना बिजनेस ही शुरू करेंगे। 
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लिहाजा अपने वेतन से पांच हजार रुपये बचाकर उन्होंने 1979 में अपना व्यवसाय शुरू कर दिया। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पांच हजार से शुरू किया उनका बिजनेस आज करोड़ों तक पहुंच चुका है और वे मैकेनिल एंड आर्गेस फार्मास्यूटिकल कंपनी के मालिक हैं। उनकी पत्नी रेणु छिब्बर और बेटा पवन भी उनके कारोबार में सहयोग करते हैं।

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स्थिति यह है कि उनकी खुद की कंपनी में बनी दवाइंया आज देश के सभी राज्यों के साथ-साथ दुनिया के 23 देशों में सप्लाई होती है। वर्ष 1989 में उनकी दवाइयों को सेंट्रल गर्वनमेंट हेल्थ स्कीम के अंतर्गत अप्रूव किया गया। उनकी कंपनी वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन से भी सर्टिफाइड है।
ये मिला सम्मान

-जीडी छिब्बर को उत्तराखंड में आई त्रासदी के दौरान करोड़ों की दवाएं मदद के तौर पर देने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सम्मानित हुए।
-उड़ीसा में भी पीड़ितों की मदद के लिए सम्मानित हुए।
-अंबाला प्रशासन तीन बार उत्कृष्ट कार्यों व सेवाओं के लिए सम्मानित कर चुका है।
-नेपाल के राष्ट्रपति से उत्कृष्ट कार्यों व सेवाओं के लिए सम्मान पा चुके हैं।
सफलता का मंत्र: ग्रेटर द रिस्क, ग्रेटर द गेन
जीडी छिब्बर सफलता के मंत्र के मायने अपने ही तरीके से निकालते हैं। उनका कहना है कि ग्रेटर द रिस्क, ग्रेटर द गेन’ यही कामयाबी का फंडा है। उनका मानना है कि जोखिम उठाए बिना आप कामयाब नहीं हो सकते, लेकिन शर्त यह है कि आपकी कोशिशें साकारात्मक हों और नैतिकतापूर्ण हों।

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